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लेखनी प्रतियोगिता -14-Jul-2023 "नींद आ जाएं मुझको "

"नींद आ जाएं मुझको"

मुझे नींद रातों को आती नहीं है
सपने भला कैसे आएंगे उसके पलकों में मेरी, 
नींद जाने कहाँ कौन ले गया है चुरा के
कि हमसे अब ये बर्दास्त होता नहीं है।। 

रात काली सागर से गहरी हुई है
फ़िर भी नींद कोसों दूर जा कर रुकी है, 
साया भी मेरा अब दूर जाकर छुपा है
ये कैसी बेबसी मेरी आँखों से छलकी है।। 

अगर नींद मुझको जो आ जाए थोड़ी
तो तकिया पे करबट ना मै पल पल ही बदलूँ, 
कसम से खों जाऊँ सपने में तेरे
तब मैं यादों तेरी थोड़ा विराम लगाती चलूँ ।। 

मग़र ये कमबख्त़ ना जाने कहाँ हुई है रुख़सत
कि दिन और रात मेरे एक ही हुए हैं, 
सिलसिला यह जुदाई का मिटाऊं मैं कैसे
कि आँखों से ये चराग़ ना धुंधले हुए हैं।। 

यह वीरानगी और तन्हाई मुझ पे
सितम कोई बनके मुझको ही डसने लगी है, 
खुली पलकों में हमदम अब राते कटती नहीं है
कसम है तुझे तू पलकों में आ कर, छा जाएं मुझ पे।। 

 गुजारिश है तुझसे तू बन जा सखी मेरी प्यारी 
करवटों से अब काम कोई चलता नहीं है, 
समा जाए तू पलकों में बनके कोई नूर प्यारा
कि गुजार दूँ मैं सदियां ख़्वाबों में उसकी।। 

मधु गुप्ता "अपराजिता"


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10 Comments

बहुत ही खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति

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बहुत बहुत शुक्रिया और आभार आपका🙏🙏

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Abhinav ji

15-Jul-2023 07:41 AM

Very nice 👍

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Thank you so much🙏🙏

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Milind salve

14-Jul-2023 08:45 PM

Nice 👍🏼

Reply

Thank you so much🙏🙏

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